
bhupinder sinhg
Bhupinder Singh Biography
आज की युवा पीढ़ी को नए गाने तो पसंद है ही पर पुराने गीतों के भी वो दीवाने है और होना भी चाहिए क्योकि गोल्डन एरा के गीत अमर है उनकी चमक हमेशा बरक़रार रहेगी
दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है , दुनिया छूटे यार न छूटे ऐसे कई गीत है जो भूपेंदर सिंह जी की आवाज़ से अमर हो गए और आज भी पसंद किये जाते है

जाने माने ग़ज़ल और पार्श्व गायक भूपिंदर सिंह का निधन आज 18 जुलाई शाम 7 :45 बजे हुआ था
उनकी उम्र 82 बरस थी
भूपिंदर सिंह को कोलन कैंसर था और साथ ही कोरोना संक्रमण भी, इस कारण कई जांच नहीं हो पाई, पिछले दस दिन से वो अस्पताल में भर्ती थे
कोरोना और कैंसर दोनों की मौत का कारण बने उनके गाये गीत आज भी बहुत पसंद किये जाते है उनकी मृत्यु से हर कोई दुखी है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा की भूपिंदर जी का जाना संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है
भूपिंदर सिंह ने भारतीय सिनेमा को कई यादगार गीत दिए मौसम सत्ते पे सत्ता, आहिस्ता आहिस्ता,धरम कांटा, दूरियां और हकीकत जैसे कई फिल्मो में अपनी आवाज़ से सबका दिल जीता था ।
भूपिंदर सिंह का बचपन
भूपिंदर सिंह का जन्म 6 फरवरी 1940 को अमृतसर पंजाब में हुआ था इनके पिता नत्था सिंह संगीतकार और गायक थे उन्होंने भूपिंदर सिंह को बचपन से ही गिटार बजाना सिखाया और गाना भी सिखाया, आगे चलकर कई गीत को में गिटार भी बजायी भूपिंदर सिंह ने, चुरा लिया है तुमने जो दिल को और दम मारो दम जैसे यादगार गीतों में भूपिंदर सिंह की गिटार वादन ने चार चाँद लगा दिए, आज भी गिटार पर ये गाने सीखे जाते है

भूपिंदर सिंह के गिटार वादन वाले गीत
दम मारो दम – हरे रामा हरे कृष्णा – संगीतकार राहुल देव बर्मन
वादियां मेरा दामन -अभिलाषा – संगीतकार राहुल देव बर्मन
चुरा लिया है तुमने – यादों की बारात – संगीतकार राहुल देव बर्मन
तुम जो मिल गए हो – हँसते ज़ख्म – संगीतकार मदन मोहन
चिंगारी कोई भड़के – अमर प्रेम – संगीतकार राहुल देव बर्मन
चलते चलते – चलते चलते – – संगीतकार बप्पी लाहिरी
मेहबूबा ओ मेहबूबा – शोले – – संगीतकार राहुल देव बर्मन
अम्बर की एक पाक सुराही – कादंबरी – संगीतकार उस्ताद विलायत खान

गायन और वादन की शुरुआत
भूपेंदर सिंह की शुरुआत आकाशवाणी,नई दिल्ली में गायन और वादन से हुई थी रेडियो आर्टिस्ट थे
और आकाशवाणी के एक स्टेज कार्यक्रम में जब गीत गा रहे थे तब इन पर संगीतकार मदन मोहन की नज़र पड़ी और
उन्होंने पसंद किया और आगे काम देने का मन बनाया था

पहला मौका किसने दिया भूपिंदर सिंह को
वर्ष 1964 वो साल था जब फ़िल्मी दुनिया में पहला मौका संगीतकार मदन मोहन ने दिया था, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड कर कभी नहीं देखा, मदन मोहन से मिलने का भी मौका किस्मत से मिला, एक संगीत समारोह में गाने गाते मदन मोहन ने इन्हे देखा और आवाज़ पे फ़िदा हो गए फिर मौका देने का मन बना लिया था जिस पहले फ़िल्मी गीत से पहचान मिली थी वो था हो के मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा, ये गीत हकीकत फिल्म का था जो भारत चीन युद्ध की विभीषिका पर बनी थी – इस गीत को गाने के बाद फ़िल्मी दुनिया में छा गए थे भूपिंदर सिंह I

संगीत से चिढ़ होने लगी थी
बचपन से किशोर अवस्था की और बढ़ते बच्चे में कई बदलाव होते है भूपिंदर सिंह के पिता नत्था सिंह उनके संगीत गुरु थे और गुरु के तौर पे सख्त मिज़ाज़ था ये कठोर अनुशाषन के कारण मन ही मन भूपिंदर सिंह कहते थे बापू सेहत के लिए तू हानिकारक है , इसी कारण संगीत से चिढ़न होने लगी थी लेकिन बाद में संगीत से ऐसा इश्क़ हुआ कि मरते दम तक दीवानगी कम नहीं हुई और भूपिंदर की असरदार और मखमली आवाज़ का जादू दुनिया के सर चढ़ कर बोलने लगा था । आगे कई गीत गए पर वो अपने सिद्धांतो पे चलते थे सोच समझ कर ही गीत के लिए हाँ कहते थे,
परिवार व शादी
भूपिंदर सिंह की शादी 1984 में मिताली सिंह से हुई थी मिताली भी गायिका थी, भूपिंदर ने पहली बार मिताली को टीवी पर गीत गाते देखा था, उन्हें मिताली की गायकी और वो बड़ी पसंद आई

फिर कुछ मुलाक़ातें हुई फिर ये मिलना जुलना प्यार में तब्दील हो गया और फिर शादी हुई , दोनों ने मिलकर कई फ़िल्मी और ग़ज़ल गायकी में धूम मचाई – यादगार एलबम्स – गुलमोहर, शबनम, दूरियां , अर्ज़ किया है, चाँद परोसा है, तेरा प्यार,
इत्यादि , फिल्में – सत्ते पे सत्ता, दिवार, ज्वेल थीफ, मौसम, एक बार फिर ऐसी ही कई यादगार फिल्में है
स्टेज शो और अन्य गायक
स्टूडियो में गाने गा कर फिर स्टेज पर भी शो किया करने लगे थे , क्योकि स्टूडियो स्टूडियो से बोर होने लगे थे, किशोर कुमार, मो रफ़ी, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, और पत्नी मिताली सिंह के साथ इनके कई गाने लोकप्रिय हुए

मृत्यु
भूपिंदर सिंह का निधन 18 जुलाई 2022 को शाम 7 :45 बजे हुआ था
उनकी उम्र 82 बरस थी दस दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे उन्हें कोलन कैंसर था और साथ ही कोरोना संक्रमण भी,
कोरोना और कैंसर दोनों ही उनकी मौत का कारण बने
परन्तु भूपिंदर सिंह हमेशा अपने गाये गीतों से अमर रहेंगे, हम उन्हें इस ब्लॉग के माध्यम से श्रद्धांजलि देते है
तरुण व्यास
फिल्म अभिनेता
zxvf7p